अदृश्य भक्ति के दर्शन: शांति सागर महोत्सव का आलोक
अदृश्य भक्ति के दर्शन
13 october 2024 को पारसोला( राजस्थान)
में जब महोत्सव के शुभारंभ की शोभा यात्रा निकल रही थी।
मुनियों के रूप में शांति सागर जी महाराज के कदम से धरती प्रफुल्लित थी।
आकाश प्रसन्न था, उसके वायुमंडल ने शांति ध्वज को छुआ था।
इंद्र देव ने भूमि शुद्धि स्वयं करी।
उत्साह और भक्ति के माहौल में यह वृद्ध व्यक्ति….
अपने जीवन को सार्थक कर रहा था।
इसे भावों में और आँखों में जो भक्ति और प्रार्थना थी वह पूर्ण समर्पण था।
मुझे तो लगा…. महाराज ने इतना बड़ा उत्सव
अदृश्य भक्तों के लिए ही आयोजित किया।
कोई सड़क पर भाव विभोर था
कोई धवज फहरा रहा था
कोई दीप जला रहा था
कोई गीत गा रहा था
सब अदृश्य था… और भारत के कोने कोने में था।
यह वृद्ध और शांति धवज वाहक ही
आचार्य शांतिसागर फाउंडेशन
की अदृश्य शक्ति हैं।
वर्तमान मे आचार्य शांति सागर फाउंडेशन
अति प्राचीन धर्म ग्रंथों के वैज्ञानिक तौर तरीके से सार संभाल के महत्त्वपूर्ण कार्य में समर्पित है —
शांति से शांति के पथ पर
चल पढे, अब हम डट कर
शांति ध्वजवाहक
(आचार्य शांतिसागर फाउंडेशन)